नरक चतुर्दशी छोटी दीवाली
नरक चतुर्दशी कब मनाते हैं ?
हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी ( चौदस) तिथि को नरक चतुर्दशी या छोटी दीवाली मनाई जाती है। नरक चतुर्दशी को रूप चतुर्दशी, रूप चौदस, नरक चौदस, या काली चौदस भी कहते हैं।
नरक चतुर्दशी क्यों मनाते हैं ?
पौराणिक कथा के अनुसार भगवान श्री विष्णु के अवतार भगवान श्री कृष्ण ने अपनी पत्नी सत्यभामा के साथ मिलकर आज के दिन ही नरकासुर राक्षस का वध करके सोलह हजार से अधिक महिलाओं को नरकासुर के नरक से मुक्त कराया था।
बंगाल में काली चौदस का सम्बन्ध मां दुर्गा के संहारक स्वरूप मां काली से भी है जिन्हें असुरों, राक्षसों, अधर्मियों का वध करके सन्तोष की प्राप्ति होती है। हम भी काली चौदस के दिन मां काली की पूजा करके ईष्र्या, द्बेष, लोभ, मोह आदि बुराईयों को त्याग कर भक्ति भाव अपनाएं।
दक्षिण भारत में भगवान विष्णु के वामन अवतार की पूजा नरक चतुर्दशी के दिन की जाती है इस दिन दैत्यराज राजा बलि के अत्याचार से भगवान श्री विष्णु ने वामन अवतार धारण करके देवताओं को मुक्ति दिलाई थी।
रूप चतुर्दशी का सम्बन्ध मृत्यु के राजा यमराज से भी है मान्यता है कि यम की पूजा करने से अकाल मृत्यु का खतरा टल जाता है शाम को दिया जलाकर इनकी पूजा की जाती है।
नरक चतुर्दशी कैसे मनाते हैं :
शाम को स्नान आदि से निवृत्त होकर भारतीय वस्त्र धारण कर के भगवान श्री कृष्ण, माता काली का रोली, अक्षत से तिलक कर फल, पुष्प, दीप नैवेद्य अर्पित करें, वस्त्र के लिए कलावा चढ़ायें,जल का लोटा भरकर रख लें जो पूजन के बाद अगली सुबह तुलसी मैया को अर्पित कर देते हैं शुद्ध घी का दीपक जलाकर इनके सम्मुख रखें, सरसों के तेल के चौदह दिये जलाकर घर के बाहर रख दें।
राजा यम के लिए आटे का बना हुआ एक दीपक घर के मुख्य द्वार पर अवश्य जलाएं।