गुरु पर्व कब मनाते हैं?

सिख धर्म के अनुसार कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि को गुरु पर्व या प्रकाश पर्व धूमधाम से मनाया जाता हैं गुरु पर्व दीपावली के पन्द्रह दिन बाद मनाते हैं।

गुरु पर्व क्यों मनाया जाता है ?

गुरु नानक देव जी का जन्म कार्तिक पूर्णिमा को हुआ था इस दिन को सिख समुदाय के लोग प्रकाश पर्व या गुरु पर्व के रूप में मनाते हैं। गुरु नानक देव जी ने ही सिख धर्म की स्थापना की थी इसलिए यह दिन सिख समुदाय के लोगों का सबसे महत्वपूर्ण और विशेष महत्‍व रखता है। सिख धर्म के अनुयायी बाबा नानक, नानकदेव जी और नानकशाह जैसे नामों से भी पुकारते हैं।

सिखों के प्रथम गुरु नानक देव जी का जन्म 1469 तलवंडी नाम की जगह पर हुआ था जो अब पाकिस्तान के पंजाब प्रांत स्थित ननकाना साहिब शहर में है इस शहर का नाम ननकाना साहिब भी गुरु नानक जी के नाम पर ही पड़ा था वहां आज भी ननकाना साहिब गुरुद्वारा बना है जीवन भर मानव सेवा करने के बाद 1539 में करतारपुर की एक धर्मशाला में उन्होंने अपने प्राण त्यागे मृत्यु से पहले उन्होंने अपने शिष्य भाई लहना को उत्तराधिकारी घोषित कर दिया था जो बाद में सिखों के दूसरे गुरु अंगददेव कहलाए दसवें और आखिरी गुरु, गोबिंद सिंह जी ने गुरु प्रथा समाप्त कर गुरु ग्रंथ साहिब को ही एकमात्र गुरु मान लिया।

गुरु नानक देव जी ने अपने पूरे जीवन को मानव सेवा के लिए समर्पित कर समाज में व्याप्त बुराइयों और कुरीतियों को दूर करने के लिए अपने पारिवारिक जीवन और सुखों का भी त्‍याग कर दिया था। वह लोगों के जीवन का अंधकार दूर करके प्रकाशमय बनाते थे इसी कारण नानक देव के अनुयायी उन्‍हें अपने जीवन का भगवान और गुरु मानते हैं।

गुरु पर्व कैसे मनाते हैं ?

देश विदेश के सभी गुरुद्वारों को फूलों और लाइटिंग से सजाया जाता है प्रातःकाल ‘वाहे गुरु, वाहे गुरु’ का जाप करते हुए प्रभात फेरी निकाली जाती है गुरुद्वारों में शबद कीर्तन करते हैं रुमाला चढ़ाते हैं।

सिख समुदाय के लोग दान-पुण्‍य आदि मानव सेवा के कार्य करते हैं गुरुद्वारे जाकर मत्था टेकते हैं, गुरुवाणी का पाठ और कीर्तन करते हैं घरों व गुरुद्वारों में दीप जला कर रोशनी की जाती है और शाम के समय लंगर का आयोजन किया जाता है। परिवार रिश्तेदारों को गुरु पर्व की शुभकामनाएं दी जाती है।


गुरु पर्व