हनुमान जनमोत्सव

हनुमान जन्मोत्सव कब मनाते हैं?

हिंदू पंचांग के अनुसार हनुमान जी का जन्म कार्तिक मास ( सितम्बर अक्टूबर) के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को माता अंजनी की कोख से हुआ था। और दूसरा जन्मोत्सव चैत्र मास (मार्च अप्रैल) की पूर्णिमा को मनाया जाता है।

पौराणिक कथाओं के अनुसार, हनुमान जी का जन्म वर्ष में दो बार मनाया जाता है

हनुमान जी जन्मोत्सव या जयंती?

जन्मोत्सव का अर्थ जन्म के उत्सव से होता है, जो दुनिया में जीवित हो उनके जन्म के दिन को जन्मोत्सव कहा जाता है। शास्त्रों के अनुसार, देवी-देवता को अमर माना गया है, इसलिए उनके जन्मदिवस को जन्मोत्सव या प्राकट्योत्सव कहा जाता है जैसे भगवान श्री राम, श्री कृष्ण और हनुमान जी के जन्मदिवस को जन्मोत्सव कहा जाता है।

जयंती का अर्थ होता है किसी ऐसे व्यक्ति का जन्मदिन जो जीवित नहीं है।


हनुमान जन्मोत्सव क्यों मनाते हैं?

हनुमान जी का जन्म कार्तिक माह की चतुर्दशी के दिन होने के उपलक्ष्य में हनुमान जन्मोत्सव बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।

हनुमान जन्मोत्सव वर्ष में दो बार क्यों मनाते हैं?

वर्ष में दो अलग-अलग तिथियों पर हनुमान जन्मोत्सव मनाने के पीछे कई धार्मिक कथाएं है। एक कथा हनुमान जी के जन्म से और दूसरी कथा उनके वज्र प्रहार से मूर्छित होने के बाद पुनः जन्म लेने के रूप में विख्यात है।


पौराणिक कथाओं के अनुसार बालरूप अंजनी पुत्र मारुति नंदन निंद्रा से जागने पर भूख से बिलखते हुए जब पेड़ पर लाल पके फल को देखकर उसे खानें को आगे बढ़ते हैं, परन्तु वह कोई फल न होकर सूर्य देव थे, सूर्य देव ने अपनी ओर किसी को तेजी से आता देख इन्द्र देव से मनोहार की, इन्द्र देव ने वहां उपस्थित होकर वज्र से हनुमान पर प्रहार कर मूर्च्छित कर दिया। पवनदेव को जब इस घटनाक्रम का बोध हुआ तो उन्होंने क्रोधित हो कर वायुमंडल से वायु का प्रवाह रोक दिया,जिसके कारण संपूर्ण ब्रह्मांड में हाहाकार मचने लगा, तब ब्रह्मा जी और देवी-देवताओं ने पवनदेव के पास जाकर विनय अनुग्रह किया और मारुति नंदन को नया जीवन देने के साथ ही उन्हें अनेक शक्तियां भी प्रदान की।

हनुमान जन्मोत्सव कैसे मनाते हैं:

हनुमान जन्मोत्सव पर इस विधि से करें बजरंगबली की पूजा, हनुमान पूजा विधि | Hanuman Puja Vidhi

हनुमान भक्तों और व्रत रखने वालों को ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।

भक्तगण प्रातःकाल ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नानादि से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण कर भगवान श्रीराम,माता सीता व हनुमान जी का स्मरण करें।

अपने घर के उत्तर-पूर्व दिशा की ओर हनुमान जी की मूर्ति या राम दरबार गंगा जल छिड़क कर स्थापित करें।

हनुमान जी को लाल पुष्प, माला,लौंग, इलायची और अबीर, गुलाल, चंदन, चावल, नारियल चढ़ाएं।

पवनसुत हनुमान जी को सिंदूर का चोला चमेली के तेल, चांदी के वर्क के साथ चढ़ाएं। केवड़ा या अन्य सुगंधित इत्र लगाएं हनुमान जी मूर्ति के वक्ष स्थल अर्थात हृदय वाले स्थान पर चंदन से श्रीराम लिखें।

देशी घी या चमेली के तेल का दीपक जलाएं।

प्रसाद के रूप में बूंदी, बेसन के लड्डू, इमरती, पंचमेवा, जलेबी, गुड़-चने, और पान का बीड़ा चढ़ाएं।

हनुमान जी की पूजा के बाद श्री राम नाम का जाप, सुंदरकांड, हनुमान चालीसा, बजरंग बाण, संकटमोचन हनुमानाष्टक का पाठ करें।

हनुमान जी को नैवेद्य लगाकर हनुमान आरती करें, सभी हनुमान भक्तों को प्रसाद का वितरण कर स्वयं भी ग्रहण करें।

हनुमान जन्मोत्सव पर बजरंगबली की विशेष पूजा करने से दुःखों,कष्टों पर विजय प्राप्त होती है और हर मनोकामना पूर्ण होती है।