ईद-उल-फ़ितर (मीठी ईद)

ईद-उल-फ़ितर (मीठी ईद)

ईद कब मनाते हैं

इस्लाम धर्म का सबसे बड़ा त्योहार ईद-उल-फ़ितर रमज़ान महीने के आखिर में मनाया जाता है।

इस्‍लामिक कैलेंडर के मुताबिक, दसवें शव्‍वाल की पहली तारीख को हर साल ईद (ईद-उल-फितर) का त्‍योहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।

ईद उल फितर को छोटी ईद या मीठी ईद भी कहा जाता है।

इस्लामी कैलेंडर में ये महीना चांद देखने के साथ शुरू होता है। जब तक चांद नहीं दिखाई देता है तब तक रमजान का महीना खत्म नहीं माना जाता है। रमजान के आखिरी दिन चांद दिखने पर अगले दिन ईद मनाई जाती है। ऐसा भी माना जाता है कि इस दिन हजरत मुहम्मद साहब मक्का शहर से मदीना के लिए निकले थे।

ईद कब मनाई जाएगी, इसका फैसला चांद निकलने पर होता है। ऐसा माना जाता है कि सऊदी अरब में जिस दिन ईद मनाई जाती है उसके अगले दिन भारत में ईद मनाई जाएगी।


ईद क्यों मनाते हैं

आइए जानते हैं ईद का इतिहास, महत्‍व और अन्‍य खास बातें।

ईद के त्यौहार को मनाने की दो बड़ी वजह हैं पहली जंग-ए-बद्र में जीत हासिल करना यह जंग 02 हिज़री 17 रमजान के दिन हुई थी यह इस्लाम की पहली जंग थी।

इस जंग में एक तरफ 313 निहत्थे मुसलमान थे, वहीं दूसरी ओर एक हजार से ज्यादा दुश्मन फौज तलवारों, हथियारों से लैस थी।

पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब की अगुआई में मुसलमान बहुत बहादुरी से लड़े और बद्र की जंग में फतह हासिल की इस जीत की खुशी में मिठाईयां बांटी गई और एक-दूसरे के गले मिलकर मुबारकबाद दी गई।

मोहम्मद पैगंबर के मक्का से प्रवास के बाद पवित्र शहर मदीना में खुशी से ईद-उल-फितर का पर्व मनाया जाता है।

दूसरी बड़ी वजह रमजान के मुबारक महीने में रखे जाने वाले रोजे, रात की तरावीह और अल्लाह की इबादत पूरी होने की खुशी में ईद मनाई जाती है।

कुरआन के मुताबिक, ईद को अल्लाह की तरफ से मिलने वाले इनाम का दिन माना जाता है।


ईद कैसे मनाते हैं

मुस्लिम समुदाय के लोग ईद पर अल्लाह का शुक्रिया अदा करते हैं कि उन्हें महीने भर रोजा रखने की ताकत दी।

ईद के दिन की शुरुआत सुबह फज्र की नमाज के साथ होती है फिर सभी लोग ईद की नमाज के लिए तैयारियां शुरू कर देते हैं, आज के दिन मर्द लोग ईद की नमाज के लिए ईदगाह, जामा मस्जिद या करीब में कोई मस्जिद जहां ईद की नमाज होती है वहां जाते हैं और सभी मुसलमान नमाजी भाई इकट्ठा होकर ईद की नमाज पढ़ते हैं। नमाज से पहले नहाकर सभी लोग नए कपड़े पहनते हैं खुशबू के लिए इत्र लगाते है।

ईद की नमाज के बाद लोग एक दूसरे के गले मिलकर ईद की मुबारक बाद देते हैं। इसके बाद ही ईद के पर्व की शुरुआत होती है, घरों पर इस दिन विशेषकर मीठी सेवइयां बनती है।

घरों पर ईद की दावतें दी जाती हैं, उपहारों का भी आदान-प्रदान होता है। जो आपसी भाईचारे और मोहब्बत का पैगाम देती हैं। दोस्तों, रिश्तेदारों और जरूरतमंदों में ईदी बांटी जाती है।

ईद के दिन खजूर और मीठे पकवान खाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है, जिनमें सिवइयां प्रमुख हैं मीठे पकवानों की वजह से आम बोल-चाल की भाषा में भारत सहित कुछ एशियाई देशों में मीठी ईद भी कहा जाता है।


ईद पर गरीबों, जरुरतमंद लोगों को दान करना चाहिए, हर मुसलमान पर गरीबों को ज़कात अल फ़ित्र देना वाजिब होता है। गरीबों को खाना खिलाना, एक खाने के बराबर पैसे देना, कपड़े देना जकात अल फित्र कहलाता है।